हमारी चाहत ने उस बेवफा को ख़ुशी दे दी,
और उस वेबफा ने बदले में ख़ामोशी दे दी,
मांगी तो उस रब से दुआ मरने की थी,
लेकिन उसने भी हमे तड़पने के लिए जिंदगी दे दी।
तेरी यादों में जो गुजरे हैं,
उस पल का मैं हिसाब क्या लिखूं,
तुम सब जानकर भी पूछते हो क्या है ये,
अब तू ही बता इस सवाल का मैं जवाब क्या लिखूं।
मैं लोगों से मुलाक़ातों के लम्हें याद रखता हूँ,
मैं बातें भूल भी जाऊं पर लहज़े याद रखता हूँ,
जरा सा हट के चलता हूँ ज़माने की रवायत से,
जो सहारा देते हैं वो कन्धे हमेशा याद रखता हूँ।
बिना देखे तेरी तस्वीर बना सकता हूँ,
बिना मिले तेरा हाल बता सकता हूँ,
अरे मेरी मोहब्बत में इतनी ताकत है की,
तेरे आंख के आंसू अपने आंख से निकल सकता हूँ।
शादी के वादे तो कर लिए थे एक दूसरे से,
पर मैं तेरी मांग में अपने नाम का सिंदूर सजा ना सका,
तुझे पा तो लिया था मैंने, पर तुझे अपना बना ना सका।
तेरे बगैर इस ज़िन्दगी की जरूरत नहीं,
तेरे सिवा हमें किसी और की चाहत नहीं।
तुम ही रहोगे हमेशा हमारे दिल में किसी और को,
इस दिल में आने की इजाजत नहीं।
वो बिछड़ के हमसे ये दुरिया कर गई,
ना जाने क्यों ये मोहब्बत अधूरी कर गई,
अब हमें तन्हाईया चुभती है तो क्या हुआ,
कम से कम उसकी सारी तमन्ना तो पूरी हो गई।
अब मोहब्बत नही रही इस जमाने में,
क्योंकि लोग अब मोहब्बत नही,
मज़ाक किया करते है इस जमाने में।
अब बदन पर कपड़े ढीले ढीले है,
सर पर बाल भारी भारी हैं,
दाढ़ी भी मैं कटवाता नहीं क्यूंकि,
ये तेरी बेवफाई की आखरी निशानी है।
पता नहीं अब बदल गया हूँ या संभल गया हूँ,
अंदर चाहे जितना भी दर्द हो लेकिन,
अब ऊपर से मुस्कुराना सिख गया हूँ।
प्यार हर किसी को जीना सिखा देता है,
वफ़ा के नाम पर मरना सिखा देता है,
प्यार नही किया तो करके देखो,
ये हर दर्द सहना सिखा देता है।
तुझे भुलाना अब मेरे बस में नहीं,
चाहो तो कोई और सजा दे दो,
अगर फिर भी नहीं मानता हो तुम्हारा दिल,
तो मुझे मरने की दुआ दे दो।
वो करते है मोहब्बत की बात,
लेकिन मोहब्बत के दर्द का उन्हें एहसास नही,
मोहब्बत तो वो चाँद है जो दिखता तो है सबको,
लेकिन उसको पाना सबके बस की बात नही।
सोचा था तड़पायेंगे हम उन्हें,
किसी और का नाम लेके जलायेगें उन्हें,
फिर सोचा मैंने उन्हें तड़पाके दर्द मुझको ही होगा,
तो फिर भला किस तरह सताए हम उन्हें।
वो नही आती पर अपनी निशानी भेज देती है,
ख्वाबो में दास्ताँ पुरानी भेज देती है,
उसकी यादों के पल कितने भी मीठे हैं,
मगर कभी कभी आँखों में पानी भेज देती है।
चिंगारी का ख़ौफ़ न दिया करो हमे,
हम अपने दिल में दरिया बहाय बैठे है,
अरे हम तो कब का जल गये होते इस आग में,
लेकिन हमतो खुद को आंसुओ में भिगोये बैठे है।
गम कितना है हम आपको दिखा नही सकते,
ज़ख्म कितने गहरे है ये आपको दिखा नही सकते,
जरा हमारे इन आंसुओ को तो देख लो,
ये आंसू गिरे है कितने ये हम आपको गिना नही सकते।
मन उसने जाने का बना लिया था,
किसी और को अपने दिल में बसा लिया था,
उसे रोक कर अब करते भी तो क्या साहब,
जब रंग हाथों में उसने किसी और के नाम का सजा लिया था।
वक़्त के मोड़ पे ये कैसा वक़्त आया है,
ज़ख़्म दिल का ज़ुबाँ पर आया है,
न रोते थे कभी काँटों की चुभन से,
आज न जाने क्यों फूलों की खुशबू से रोना आया है।
ज़ख्म मेरा है दर्द मुझको होता है,
इस जमाने में कौन किसका होता है,
उन्हें नींद नहीं आती जो प्यार करते हैं,
और जो दिल को तोड़ते हैं वो चैन से सोते हैं।